प्रेम

प्रेम प्रत्येक मनुष्य का स्वभाव होना चाहिए अगर हम घोड़े के पिल्लै होते तो तेज दौड़ना हमारा स्वभाव होता  कुते के पिल्लै होते तो वफ़ादारी हमारा स्वभाव होता लेकिन  हम मनुष्य के पिल्लै है इसलिए मनुष्य का स्वभाव प्रेम हे नीस्वार्थ प्रेम आत्मा का शुध्धतम भाव हे  जिस तरह अग्नि का गुणधर्म हे जलना पानी का गुणधर्म हे बहना और प्यास बुजाना ठीक इस तरह प्रत्येक मनुष्य का आत्मधर्म एक ही नीस्वार्थ प्रेम और यही मनुष्य धर्म है l

आपका अपना
बाबा स्वामी

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