अपने चित्त को अपने भीतर रखना आसान नहीं
अपने चित्त को अपने भीतर रखना आसान नहीं होता क्योंकि उसे भीतर जाने के लिए कोई कारण होना चाहिए , कोई उद्देश होना चाहिए। जबतक कोई उद्देश न हो तो हमारा भी अपने चित्त पर नियंत्रण न होगा। क्यों भीतर जाना है , यह उद्देश हमें हमारे चित के सामने रखना होगा ,तभी वह भीतर जाएगा।
भाग ५
भाग ५
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