सद्गुरु का सानिध्य

गेंदे  के  फुल  का  जीवन  अधिक  दीनों  तक  होता  है  लेकिन  पारीजातक  के  फुल  को  सुगंध  तो  अच्छी  आती  है  लेकिन  उसका  जीवन  कुछ  घंटे  का  ही  होता  है । ठीक  इसी  प्रकार , सद्गुरु  का  सानिध्य  भी  कुछ  समय  ही  प्राप्त  होता  है । सदैव  आजतक  किसी  को  भी  मिला  है ,और  न  मिलेगा । आपके पुण्यकर्म  समाप्त  हुए  तो  आपको  सानिध्य  तो  छोड़ो , सद्गुरु  के  दर्शन  भी  नही  हो  सकेंगे । इसलिए  जागो ! जब  जागो  तब  सवेरा  वाली  बात  है ।

आपका अपना
बाबा स्वामी
१९ / ०१ / २०१७

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