परमात्मा
" इस सारे विश्व का छोटा सा अंश हम में है। जिसे ' परमात्मा 'कहते हैं,वह सभी में विद्यमान है। और इस विश्व का भी छोटा-सा स्वरूप एक पिंड के रूप में मनुष्य में है।मनुष्य परमात्मा का भी प्रतिनिधि है और विश्व का भी प्रतिनिधि है। परमात्मा को पाने के लिए भी आत्मा को पाना होगा और विश्व में शांति चाहिए,विश्व में कल्याण चाहिए तो भी प्रथम स्वयं शांति प्राप्ति करनी होगी, प्रथम अपना,आत्मा का कल्याण करना होगा।" मुझे बड़ा शांत लगा था और मैं शांति के साथ वहाँ बहुत समय तक बैठा रहा।उस दिन काफी समय के बाद डाक्टर बाबा मिले थे।मैं भी उनसे बहुत दिनों से नहीं मिलने से बेचैनी महसूस कर रहा था।हम लकड़ियाँ बीनने जो नीचे गए थे,उसके भी अनुभव मुझे उन्हें बताने थे। जब मैं उनसे मिला तो मैंने उनसे काफी बातें कीं। हम दोनों के बड़े आंतरिक संबंध थे।ऐसे ही बातें चल रहे थीं तो मैंने उनसे पूछा, "यहाँ पर काफी लोग
श्री नवकार मंत्र का जप करते हैं। यह मंत्र क्या है?मैं जब लकड़ियाँ बीनने गया था,वहाँ पर भी वे लोग उस मंत्र के बारे में बातें कर रहे थे तो मुझे जिज्ञासा
हुई।श्री नवकारी मंत्र क्या है,मैं जानना चाहता हूँ।"...
हि.स.यो-४
पु-३९६
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