आत्मसाक्षात्कार प्राप्त होने के बाद नियमित ध्यान

"आत्मसाक्षात्कार प्राप्त होने के बाद जैसे-जैसे हम नियमित ध्यान करते हैं, वैसे-वैसे हमारे  विचारों में बदलाव आना शुरू होता है l हम सकारात्मक रूप से विचार करने लगते हैं l और जीवन ही नहीं, प्रत्येक बात की तरफ़ देखने का हमारा नज़रिया ही सकारात्मक हो जाता है l नकारात्मक विचार आते हैं, पर एकदम कम समय के लिए, जैसे पानी का एक बुलबुला कम समय रहता  है l भूतकाल की यादें धुँधली होना शुरू हो जाती है, और हमारा चित्त सदैव वर्तमान में रहने लग जाता है l
हम अन्तर्मुखी हो जाते हैं l हम हमारी समस्या के लिए दूसरे को ज़िम्मेदार नहीं मानते "मेरी क्या गलती हुई," वह देखते हैं l अपने दोषों की तरफ़ चित्त जाता है तो अपने दोष दूर होना चालू हो जाते हैं l परमात्मा की खोज बाहर करना बंद करते हैं क्योंकि जान जाते हैं - परमात्मा तो आत्मा के रूप में मेरे ही अन्दर बैठा है l और आत्मिक सुख और समाधान महसूस करते हैं और जीवन में आत्मशांति अनुभव करते हैं l आत्मसाक्षात्कार वास्तव में दूसरा जन्म ही होता है l पुराना सब छूट जाता है l

सदगुरु श्री शिवकृपानंद स्वामीजी
"आध्यात्मिक सत्य"

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी