आभामंडल
17) हमारा बुद्धि का विकास राईट साईड (सूर्य नाड़ी) पर निर्भर है, तो आत्मीय विकास लेफ्ट साईड (चंद्र नाड़ी) पर निर्भर है | और संतुलन करने के लिए हमें सहस्रार पर चित्त केंद्रित करने की आवश्यकता है |
18) सहस्रार चक्र पर स्थिरता सामूहिकता में ही प्राप्त की जा सकती है | और सामूहिकता के लिए 'गुरुशक्तियों को समर्पण' आसान मार्ग हैं |
19) प्रत्येक मनुष्य का जिस प्रकार से स्थूल शरीर होता है, ठीक उसी प्रकार से उसका सूक्ष्म शरीर (विचारों का शरीर) होता है | आप किस प्रकार से सोचते हैं, ठीक उसी प्रकार से इसका निर्माण होता है |
20) इसके अलग-अलग रंग होते हैं | आपके विचारों के अनुसार इसके रंग तैयार होते हैं | यह प्रत्येक व्यक्ति का निजी होता है |
21) जिस प्रकार से प्रत्येक व्यक्ति की अंगूठे की छाप अलग होती है, ठीक उसी प्रकार से प्रत्येक व्यक्ति का आभामंडल निजी होता है | उस आभामंडल से व्यक्ति को पहचाना जा सकता है |
22) इस आभामंडल से उस व्यक्ति के पूर्व जन्म के बारे में भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है |
23) व्यक्ति के विचार बदलने पर यह आभामंडल भी बदलता है | इसके रंग बदलते हैं | यह स्थाई रूप का नहीं होता, वर्तमान स्थिति के अनुसार बदलता है |
24) आज तो मशीनों के द्वारा भी इसे देखा जा सकता है, जाना जा सकता है |
25) मनुष्य की मृत्यु के 3 दिनों तक यह बना रहता है, पर धीरे-धीरे बुझ जाता है |
26) माँ के गर्भ में बच्चा आ जाता है, तभी से उसका आभामंडल बनना प्रारंभ हो जाता है | इसीलिए अच्छे आभामंडल के बच्चे के प्रभाव से गर्भावस्था में माँ का भी आभामंडल अच्छा हो जाता है |
क्रमश: ....
अध्यात्मिक सत्य
18/03/2007, रविवार... पन्ना क्र. 96✍
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