परमात्मा सर्वत्र हैं


1) इस विश्व में परमात्मा सर्वत्र है |

2) वही सूर्य को, चंद्र को, पृथ्वी को, तारों को निश्चित स्थान पर रख रहा है |

3) वही भूमि पर संतुलन रख रहा है | 'पानी की मात्रा' बढ़ने नहीं दे रहा है |

4) मनुष्य 'अतिविचार' करके वैचारिक प्रदूषण कर रहा है जिससे गर्मी बढ़ रही है और उसी से 'ग्लोबल वार्मिंग' का खतरा उत्पन्न हो रहा है |

5) अधिक गर्मी बढने पर बर्फ पिघल जाएगी और सर्वत्र पानी हो जायेगा | पृथ्वी की जमीन डूब जाएगी |

6) प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाएगा | अतिविचार से वह बिगड़ रहा है |

7) विचार करना प्रकृति के विरोध में है क्योंकि प्रकृति के साथ जुड़ जाने पर विचार नहीं रह जाते |

8) 'समर्पण ध्यान' प्रकृति से समरस होना सिखाता है |

9) समर्पण ध्यान करने से हमारा अस्तित्व प्रकृति से अलग नहीं रह जाता है |

10) परमात्मा एक अविनाशी शक्ति है जो विश्व में सर्वत्र विद्यमान है |

11) 'परमात्मा' ही सारे ब्रम्हांड का संचालन व नियंत्रण कर रहा है |

12) परमात्मा को किसी 'धर्म' के दायरे में बाँधा ही नहीं जा सकता है |

13) परमात्मा कल भी था, 'आज भी है' और कल भी रहेगा |

14) परमात्मा 'सजीव' व 'निर्जीव' दोनों में समान रूप से विद्यमान रहता है |

अध्यात्मिक सत्य

21/02/2007, रविवार...पन्ना क्र -11✍

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