बिना पुत्र के मोक्षप्राप्ति असंभव

🔅बिना पुत्र के मोक्षप्राप्ति असंभव...पुत्र यानी एक नई आत्मा, एक आत्मा का जन्म🔅

प्रश्न 54 :- स्वामीजी,ऐसे कहा जाता है के पुत्र प्राप्ति के बिना मोक्ष प्राप्ति नहीं हो सकती है | क्या यह सत्य है ?

स्वामीजी :- बिल्कुल सत्य है | बिना पुत्र के कभी भी मोक्ष प्राप्ति नहीं हो सकती | तो जो कहा गया है, जो बताया गया है,  बिल्कुल सत्य है | वो बहुत से पुस्तकों में लिखा गया है | पुस्तकों में लिखा एक दृष्टि से जाता है और पढ़ने वाला उसका अर्थ अपने सुविधानुसार, अपने इच्छानुसार लेता है | जो लिखा गया है वो लिखा ही गया है कि जब तक किसी पुत्र को पैदा नहीं करते तब तक आपको मोक्ष नहीं मिलता | पुत्र पैदा करना याने ? शरीर से बच्चा पैदा करना ? अर्थ ये लगाया जाता है   | वास्तव में ऐसा नहीं है | पुत्र पैदा करना याने आपके आत्मा से दूसरी आत्मा का निर्माण | आपके आत्मा से दूसरे एक आत्मा का निर्माण करना, वो निर्माण ही पुत्र है | और ये, ये मेरे अनुभव के आधार पर कह सकता हूँ | हिमालय में कई मुनी है, कई सिद्ध है, कई समाधि लगे हुए हैं | सारे ब्रह्मचारी है | उन्होंने शादी ही नहीं की तो पुत्र पैदा करने का प्रश्न ही नहीं आता | लेकिन उन्होंने कई पुत्रों को जन्म दिया है | इसीलिए उनको मोक्ष मिला है | तो इसलिए जो बताया गया है वो एक अलग अर्थ में बताया गया है | आप जिस अर्थ में ले रहे हो तो उस अर्थ में उसका अर्थ नहीं है | आप ध्यान करो, आप मेडिटेशन करो आप मेडिटेशन्स करके आप गुरुकार्य के माध्यम बनो | आपके माध्यम से किसी आत्मा का साक्षात्कार हो, किसी आत्मा को अनुभूति प्राप्त हो, वो आपका पुत्र हो गया | आपके अध्ययन से मिला, आपके बातों से मिला | आप उसको आत्मज्ञान देने के लिये, उसके आत्मा की जागृति करने के लिए उसके आप पिता बने | आपके मार्फत से अगर किसी को मिलता है तो वह आपको मोक्ष प्रदान करेगा | मुझे शिवबाबा ने मोक्ष की स्थिति दे दी | फिर भी मैं यह कार्य क्यों कर रहा हूँ ? इसलिए कर रहा हूं कि आपको मोक्ष मिल सके | सोचो न, कितने हजारों, लाखों पुत्र पैदा किए हैं | मेरे को तो एक ही पुत्र काफी था | लाखों की क्या जरूरत थी ? लाखों इसलिए कि उनके द्वारा आपको मोक्ष मिल सके | ये प्रक्रिया है, ये तरीका है | एक बार मैं कच्छ गया था तो कच्छ में प्रतापभाई का गाँव है कोठारा | वहाँ के जैन मंदिर में वो ले गए | वहाँ जो आचार्य थे उनसे मुलाकात हुई, बातचीत हुई तो वाइब्रेशन से वो ये जान गए, "स्वामीजी, आपको तो मोक्ष का स्थिति प्राप्त है | लेकिन आपके साधकों को कैसे मिलेगा ?" मैंने उनको बताया कि जो स्थिति मुझे मिली है, वो स्थिती मैं बाँटते रहता हूँ, डिस्ट्रिब्यूट करते रहता हूँ | तो ठीक उसी प्रकार से हजारों, लाखों साधक जिस आत्मा ने पैदा किए, जिसको हजारों, लाखों पुत्र है, तो मोक्ष तो एक ही है | तो उन पुत्रों के जो प्राप्त पुण्य आज मैं आपको समर्पित करता हूँ ताकि आपको मोक्षप्राप्ति हो सके | तो सत्य है की बिना पुत्र प्राप्ति के मोक्ष नहीं मिल सकता | लेकिन वो पुत्र शरीर का नहीं है, पुत्र यानी, जो अर्थ लगा रहे हो वो पुत्र नहीं | पुत्र यानी एक नई आत्मा, एक नए आत्मा का जन्म | ऐसा अगर आपके हाथ से हो तो निश्चित आपको मोक्ष मिलेगा |

मधुचैतन्य :- अक्तूबर,नवंबर दिसंबर-2010
चैतन्यधारा

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