गुरुशक्तीधाम
हम जैसे ही गुरुशक्तीधाम में प्रवेश करते है , हमारा दीमाख काम करना बंद कर देता है , औऱ एक शुन्य की अवस्था प्राप्त हो जाती है , औऱ शरीर भाव संपुर्ण समाप्त हो जाता औऱ आत्मभाव स्थापित हो जाता है । औऱ ऐसी स्थिती में भी आप अगर कोई समस्या से ग्रस्त हो तो आप ऐसी स्थिती में भी आप आपका चित्त उस समस्या में डाल कर उस समस्या को दूर करने की प्रार्थना करते है , औऱ ऐसी शुन्य की स्थिती में की गयी प्रार्थना ही आपकी समस्या को दूर कर देती है , अब यह अनुभव प्रत्येक मनुष्य को आयेगा । परमात्मात्मा को तो एक "भावी की भाषा " ही समझती है । तो सामान्य मनुष्य की भी समस्या केवल मंगलमूर्ती के दर्शन मात्र से ही दूर होगी ।
सौराष्ट्र आश्रम
7/3/2014
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