गुरु का शरीर निमित है चैतन्य का

_*गुरु का शरीर निमित है चैतन्य का। जहाँ आप झुके की रास्ता बन गया।  फिर आप चाहे, न चाहे, आप पर चैतन्य रूपी अमृत बस बरसता ही जाएगा। गुरु की आत्मा के सामने झुके बिना , गुरु स्वयं शरीर से कुछ भी नहि दे सकते है। *_
_* जय बाबा स्वामी*_

_*HSY 1 pg 90*_

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