आत्मज्ञान से आत्मशक्ती बढ़ती है
।। समर्पण ।।
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" आत्मज्ञान से आत्मशक्ती बढ़ती है और आत्मशक्ती के बिना आत्मसंयम संभव नही है और आत्मसंयम के बिना शारीरिक शक्ति कुछ काम की ही नही है । आत्मसंयम के बिना शारीरिक शक्ति असँतुलित हो सकती है , शरीर की शक्ति वासनामय हो सकती है , शारीरिक शक्ति मोहमय हो सकती है , शारीरिक शक्ति अमानवीय भी हो सकती है । पर कार्य के प्रति किया गया सतत समर्पण का भाव आत्मसंयम का निर्माण कर देता है ।"...
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ही .का .स .योग २
[मधूचैतन्य न .दी .२०१५]
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" आत्मज्ञान से आत्मशक्ती बढ़ती है और आत्मशक्ती के बिना आत्मसंयम संभव नही है और आत्मसंयम के बिना शारीरिक शक्ति कुछ काम की ही नही है । आत्मसंयम के बिना शारीरिक शक्ति असँतुलित हो सकती है , शरीर की शक्ति वासनामय हो सकती है , शारीरिक शक्ति मोहमय हो सकती है , शारीरिक शक्ति अमानवीय भी हो सकती है । पर कार्य के प्रति किया गया सतत समर्पण का भाव आत्मसंयम का निर्माण कर देता है ।"...
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ही .का .स .योग २
[मधूचैतन्य न .दी .२०१५]
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