मन मे जीस व्यक्ती के प्रती नाराजगी है , उसे क्षमा कर दीजिए
आपके मन मे जीस व्यक्ती के प्रती नाराजगी है , उसे क्षमा कर दीजिए , हृदय से क्षमा कर दीजिए । क्षमा करने से हमारे दो चक्र पवित्र हो जाते है । एक तो आज्ञा चक्र खुलता है क्योंकि वह व्यक्ति आपके आज्ञा चक्र मे बैठा हुआ होता है । और दुसरा, क्षमाभावना से हृदय चक्र खूलता है।
मनुष्य के कम॔ होते है संस्कारो के कारण और संस्कार आते है संगत के कारण और संगत मिलती है पिछले जन्म के कमोॅ के कारण
पूज्य गुरूदेव
अमृत तो सभी आत्माओं के हृदय में है । हमारी दृष्टी उनकी उस अमृत तक होनी चाहिए । इसलिए अपने आपको कीसी बंधन में मत बांधो की हम यह है, हम वह है। तो फिर आप एक अपने -आपको ग्लास का पानी कर लेते है, आप एक छोटा समुदाय बनाते है।
पूज्या गूरूमाॅ
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