सुबह वहाँ से सूर्योदय का दृश्य देखा ।
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पूर्व में बाल्कनी थी । सुबह वहाँ से सूर्योदय का दृश्य देखा । सूर्य को प्रणाम किया तथा मेरा प्रणाम गुरुओं तक तथा " इन " तक पहुँचाने का निवेदन किया । सूर्य ही थे जो अपनी किरणों के माध्यम से उन सभी का चरण स्पर्श कर मेरा प्रणाम उन तक पहुँचा सकते थे । सूर्य को तथा किरणों को भी धन्यवाद दिया क्योंकि मेरी ओर से वें नमन कर रहे थे ।
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वँदनिय प .पू .गुरुमाँ
[ " माँ " पुष्प २ / ५० ]
🙏।।जय बाबा स्वामी ।।🙏
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