वैश्विक चेतना का नियम है - वह कार्यरत सदैव रहती है
"वैश्विक चेतना का नियम है - वह कार्यरत सदैव रहती है, बस। उसकी दिशा और दशा निश्चित नहीं होती है। उसे हमारा चित्त दिशा प्रदान करता है। और चित्त चित्त जो दिशा प्रदान करता है, वह उस दिशा में बहना प्रारंभ कर देती है।"
- श्री शिवकृपानंद स्वामीजी
HSY-5/195
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