मनुष्य जैसी इच्छा करता है , ठीक उसी प्रकार से उसके हाथ से कर्म होता है ।

मनुष्य जैसी इच्छा करता है , ठीक उसी प्रकार से उसके हाथ से कर्म होता है । और जिस प्रकार का कर्म उसके हाथ से होता है , फिर उसी प्रकार कि ऊर्जा उसी प्रकार के अन्य कर्म के लिए उसे माध्यम बनाती है ।
** इसलिए मनुष्य पहली बार अपराध करने के लिए विचार करता है - अपराध करू या ना करू ? लेकिन एक बार कर देने के पश्चात लगातार अपराध करता चला जाता है । इसलिए मनुष्य ने अपने पहले अपराध करने से ही बचना चाहिए , नही तो अपराध उसके हाथ से होते चले जाएँगे और वह अपराधी हो जाएगा ।
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परमपूज्य गुरुदेव
[ आध्यात्मिक सत्य ]
विषय :- आभामन्डल
🙏जय गुरुमाऊलि 🙏
🙏जय बाबा स्वामी 🙏

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