भविष्यमे ध्यान केंद्र वह स्थान होंगे जहां पर सद्गुरुकी उपस्थिति सूक्ष्म रूपसे होगी ही

भविष्यमे ध्यान  केंद्र वह स्थान होंगे जहां पर सद्गुरुकी उपस्थिति सूक्ष्म रूपसे होगी ही।वह वहां दिखेगा नही।लेकिन जैसे मोति व्यक्तिगत रूपमें धागेके स्पर्श को अनुभव कर सकता है, वैसे ही सेंटर या केंद्र पर उपस्थित प्रत्येक साधक अपने हृदय में अपने सद्गुरुकी उपस्थिति अनुभव कर सकता है।यह समान अनुभव प्रत्येक उस आत्मा को आएगा जो केंद्र पर जा कर नियमित ध्यान करेगी।इस प्रकार से केंद्र वह पवित्र स्थान होगा जहां सद्गुरु का सान्निध्य प्रत्येक आत्मा को अनुभव होगा लेकिन दिखेगा नही।
हि. स.योग भाग 5 पन्ना 381

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