"परमात्मा सर्वत्र है "

।। आध्यात्मिक सत्य ।।
**************************
"परमात्मा   सर्वत्र   है "  कोई   बाहर   खोजते -खोजते   भीतर   चले   जाते   है   और   कोई   भीतर   खोजते   खोजते   बाहर   आ   जाते   है ।  समर्पण   ध्यान   भीतर   खोजते   खोजते   बाहर   आ   जाना   है । पहले  गहरे   भीतर   उतरो   और   जानो   -परमात्मा   आपके   भीतर   है । और   बाद   में   भीतर   से   बाहर   की   यात्रा   प्रारंभ   करो   तो   अनुभव   होगा  " परमात्मा सर्वत्र है ।"...
******************************

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी