" मानना" आत्मा का शुद्ध भाव है

" मानना"  आत्मा  का  शुद्ध  भाव  है । मनुष्य  योनि  में  ही  ऐसे  शुद्ध  भाव  वाली  आत्मा  प्राप्त  होती  है । इसीलिए " मनुष्य योनि " को  सर्वश्रेष्ठ  कहा  गया  है । और  उस  मनुष्य  योनि  में  जन्म  लेकर  भी  अगर  मनुष्य  पशूवत  व्यवहार  करे  तो  क्या  किया  जा  सकता  है ?
********************
ही .का .स .योग ...
५-- १३४

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी