" मानना" आत्मा का शुद्ध भाव है
" मानना" आत्मा का शुद्ध भाव है । मनुष्य योनि में ही ऐसे शुद्ध भाव वाली आत्मा प्राप्त होती है । इसीलिए " मनुष्य योनि " को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है । और उस मनुष्य योनि में जन्म लेकर भी अगर मनुष्य पशूवत व्यवहार करे तो क्या किया जा सकता है ?
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ही .का .स .योग ...
५-- १३४
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ही .का .स .योग ...
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