अपने मन की आत्मशांति सर्वोपरि है
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कितना भी वातावरण खराब हो , अपने मन की आत्मशांति सर्वोपरि है । वो आत्म्शांति हमको किसी भी कीमत पे खोने का नही है । किसी भी.....कोई भी कीमत के ऊपर खोने नही है । सब कुछ खो दो किंतु आत्मशांति मत खोना । और जब आत्म्शांति रहेगी तो आत्मभाव आएगा । आत्मभाव रहेगा तो आत्मीयता आएगी । आत्मीयता रहेगी तो सामूहिक शक्ति आएगी । सामूहिक शक्ति आएगी तो कार्य का विस्तार होगा । और ये निर्माण हुआ है मँगल्मुर्तियोँके कारण !
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🔹म..चैतन्य 🔹दिसंबर २०१६🔹
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