प्रार्थना सदैव हमारे चित्त को शुद्ध करती है
" प्रार्थना सदैव हमारे चित्त को शुद्ध करती है । अपनी स्वयं की समस्याओं को , अपने स्वयं के दुखों को दूर रखकर हम अगर दूसरों की समस्या दूर करना चाहते है तो उसके लिए एक मार्ग है -- प्रार्थना । और इससे हमारे चित्त की शुद्धी होती है ।
ही .का .स .योग
भाग ५ पृष्ठ १२४
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