आत्मसाक्षात्कार प्राप्त होने के बाद
आत्मसाक्षात्कार प्राप्त होने के बाद में, उस आत्मसाक्षात्कार को प्राप्त कर हम कितना अनुभव करते हैं , हम कितना उसका एहसास करते हैं , उसी के ऊपर आगे का मार्ग अवलंब होता है | केवल आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करना ही कुछ नहीं है |सत्य तो एक ही है , सत्य का स्वरूप भी एक ही है | सारे विश्व में एक ही सत्य है | वो सत्य को हम विश्वचेतना मानकर चल सकते हैं | विश्वचेतना सारे विश्व में फैला हुई हैं | और उस विश्वचेतना के कण - कण से हमारा जीवन भी संचालित होता है, चलता है | उस विश्वचेतना को कोई रूप नही है , कोई रंग नही है लेकिन उस विश्वचेतना को लोगो ने अलग-अलग रूप दिए हैं |अलग -अलग रूपो से, , अलग -अलग नामों से जानते हैं |लेकिन वास्तव में वो सब रूप है , स्वरूप तो एक ही है न! एक ही स्वरूप है, उसी एक ही स्वरूप के अलग -अलग रूप है |
महाशिवरात्री 2017
मधुचैतन्य:-page-11
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