स्वामीजी का आभामंडल
स्वामीजी का आभामंडल (ऑरा) बहुत बडा है। *जब हम साधक उनके आभामंडल में होते है और उनके स्थूल शरीर को प्रणाम करते हैं तो अनजाने में हजारों साधकों का दोषरुपी विष आभामंडल के माध्यम से स्वामीजी के स्थूल शरीर में स्थानांतरित (ट्रान्सफर) होता है।* यह स्थिति उनके स्थूल शरीर को नुकसान पहुँचा रही है।
*हम साधकों का कर्तव्य: कभी भी पूज्य स्वामीजी के स्थूल शरीर को नमस्कार नहीं करना चाहिए, बल्की पूज्य गुरुदेव के मंच से जाने के बाद सूक्ष्म शक्तियों को ही नमस्कार करना चाहिए। स्थूल शरीर को नमस्कार किए बिना भी हमें वही मिल रहा है क्योंकि शक्तियाँ तो सदैव विद्यमान हैं ही।*
डॉ.हेतल आचार्य
*मधुचैतन्य अप्रैल २००९*
*मधुचैतन्य अप्रैल २००९*
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