शरीर में रहना है , पर आत्मा बनकर रहना है
 हमे  शरीर  में  रहना  है , पर  आत्मा  बनकर  रहना  है । ऐसा  बनकर  अगर  हम  शरीर  में  रह  सके , तो  इस  शरीर  के  माध्यम  से  अपने  जीवन  में  अपनी  आत्मा  को  मोक्ष -प्राप्ती  तक  अवश्य  पहुँचा  पाएँगे । औऱ  प्रत्येक  आत्मा  का  अंतिम  लक्ष  मोक्ष  पाना  है । उसी  के  लिए  आत्मा  ने  य़ह  शरीर  का  आवरण  ओढ़ा  हुआ  है । य़ह  बात  हमें  सदैव  याद  रखनी  है । 
                               *ही.का.स.योग.*
*खंड / १/ ८२*
*खंड / १/ ८२*
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