२०१७ की सुबह दांडी आश्रम मे नये साल के महाध्यान के परम पुज्य स्वामीजी के प्रवचन के कुछ अंश
नियमित ध्यान से अपना आभामंडल का कमरा बनाओ।
- संयम का दुसरा नाम ही समर्पण है। संयम कर सकते है वही समर्पण कर सकते है।
- संयम ही आत्मा की पूजा है। संयम शरीर, मन, बुध्दि और चित्त पर क्रमशः होता है।
- नियमित आधा घंटा अकेले मे और आधा घंटा सामुहिकता मे ध्यान करो।
- प्रयत्नों के बाद भी समर्पण क्यों नहीं हो रहा है?
समर्पण करने के लिए मेरा अनुकरण करो। गहन ध्यान के ४५ दिन अनुकरण का नाटक करो,
(१) किसीके प्रति दुर्भावना मत रखो।
(२) कुछ भी पाने की इच्छा मत रखो।
(३) अपेक्षा के साथ ध्यान मत करो।
(४) ध्यान लगने की भी अपेक्षा मत करो l
(५) नियमित ध्यान करो, खाना नही खाया चलेगा, नहाया नही तो चलेगा, कम सोया तो भी चलेगा लेकिन ध्यान में नियमित रहो।
(६) जो कुछ आपके पास है उसे बाटो।
(७) विश्व के प्रत्येक मनुष्य से प्रेम करने का नाटक ही करो, धीरे धीरे सही में प्रेम हो जायेगा ।
~परम पूज्य सदगुरु श्री शिवकृपानंद स्वामीजी
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