ध्यान करने की आदत

अपने आप को ही ध्यान करने की आदत डाल लो। और भविष्य की चिंताएं मत करो, अपने वर्तमान समय को सुधारो। सदैव वर्तमान काल की "नींव" पर ही भविष्य की बिल्डिंग खड़ी होती है। अपना वर्तमान संतुलित रखो। वर्तमान सुधार लो तो भविष्य अच्छा होने ही वाला है। और भूतकाल की "काली यादों" की गठरी भी उतार फेंको। उसके वजन से ही कहीं भविष्य ना खराब हो जाए, यह याद रखो। बुरे व्यक्तियों को याद मत करो। सदैव अपनी आज्ञा (आज्ञाचक्र) में किसीको भी रखोगे तो एक दिन वह आपके आज्ञा चक्र को कमज़ोर कर देगा। और फिर  आपके "आज्ञा चक्र के स्टेज" पर किसी ना किसी व्यक्ति का "नाटक" चलते ही रहेगा।  यानी कोई ना कोई मनुष्य सदैव आपके आज्ञा में रहेगा।

यह स्थिति बड़ी खराब है। आप इस स्थिति से बचो। यह बड़ी ही खतरनाक स्थिति है। प्रथम आपको समझना होगा कि आपकी यह स्थिति हो गई है और बाद में इस में से निकलने के लिए प्रार्थना करना होगी। अन्यथा यह स्थिति आपके सारे जीवन को ही खराब कर देगी। आप आपके जीवन का थोड़ा समय अपने आप के लिए निकाले, आप स्वयं, अपने आप के गुरु बनिए, आपको जीवन में "पल-पल" पर मार्गदर्शन अपने भीतर से ही प्राप्त होगा।

सदगुरु के हृदय से

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