साधक प्रश्न 25 : क्या यह पूर्व आयोजित है कि हमें हमारे जीवन में कौन से गुरु मिलेंगे ?


साधक प्रश्न 25 : क्या यह पूर्व आयोजित है कि हमें हमारे जीवन में कौन से गुरु मिलेंगे ?

स्वामीजी : हाँ, यह पूर्व-आयोजित है कि हमें जीवन में कौन से गुरु मिलेंगे | पर वहाँ तक पहुँचना अपनी स्थिति पर आधारित है | जब मेरी निश्चित स्थिती हुई, तब मेरे जीवन में मुझे अपने गुरु तभी मिले और तब मैं हिमालय गया | प्रत्येक के जीवन में गुरु मिलने की वजह अलग-अलग भी हो सकती है | जैसे की बीमारी, समस्या, संकट या अंदर से गुरु से मिलने की तीव्र इच्छा होना यह स्वप्न में गुरु के दर्शन होना | ये सब माध्यम है जिनके जरिए गुरु तक पहुँच सकते हो | पर एक बार गुरु तक पहुँच जाने के बाद उसे (माध्यम को) भूल जाना चाहिए | मेरा अनुभव यह रहा है कि एक बार जब मैं गुरु के पास पहुँच गया, तब से मेरे लिए गुरु की खोज बंद हो गई और भीतर की यात्रा शुरू हो गई | जो आपको अंतर्मुखी कर दे, वही आपका गुरु है |
              वास्तव में, गुरु आप के बाहर नहीं है, आपके अंदर है | आपकी आत्मा ही आपका गुरु है | जब तक हमें पहुँचे हुए गुरु नहीं मिलते हैं, जब तक हमारे जीवन में हमें भीतर की ओर मोड़नेवाले गुरु नहीं मिलते हैं, तब तक हमें अपने-आपका चेहरा नहीं दिखता है | हमें अपने-आपका चेहरा नहीं दिखता है और उसे देखने के लिए हमें मिरर (आईने) के पास जाना पड़ता है | गुरु वह मिरर है जो हमें अपने-आपसे मिलाता हैं |
मधुचैतन्य : अक्टूबर,नवंबर,दिसंबर-2008
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