जो आज स्वामीजी का सपना है
हर व्यक्ति अपने जीवन मे एक सपना देखता है और यही स्वप्न उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है । साधारण मानव का स्वप्न स्वयं तथा परिवार तक सीमित होता है । किंतु सदगुरु का परिवार समग्र विश्व होता है । इसलिए उसका स्वप्न प्रत्येक मानव मे छुपे आनंद सागर को विकसित करने का होता है । देश , धर्म , भाषा की दीवारें सदगुरु के मार्ग की रुकावट कभी नही बनती क्योकि सदगुरु भेद नही , समानता देखता है और अपने प्रेम से , चैतन्य से जग को मंगलमय बनाने का प्रयास करता है ।
परम पूज्या ; गुरुमाँ...
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