विचार
जो मनुष्य सकारात्मक विचार कर सकता है,
वही मनुष्य नकारात्मक विचार भी कर सकता है।
दोनों ही विचार मनुष्य की शक्ति को खर्च करते हैं।
इन दोनों से मुक्ति निर्विचारिता की स्थिति है और
यह स्थिति ध्यान में ही संभव है और ध्यान आत्मज्ञान से ही संभव है।
यानि विश्व कल्याण का मार्ग आत्मज्ञान से ही संभव है।
~बाबा स्वामी
वही मनुष्य नकारात्मक विचार भी कर सकता है।
दोनों ही विचार मनुष्य की शक्ति को खर्च करते हैं।
इन दोनों से मुक्ति निर्विचारिता की स्थिति है और
यह स्थिति ध्यान में ही संभव है और ध्यान आत्मज्ञान से ही संभव है।
यानि विश्व कल्याण का मार्ग आत्मज्ञान से ही संभव है।
~बाबा स्वामी
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