गुरुपुरनीमा २०१३

जिनके पास भी मै रहा ,उनको संपूर्ण समर्पित रहा और उनमें समाहित हो गया ।" समाहित शब्द का अर्थ थोडा समझो ,समाहित होना याने अपने अस्तित्व को पूर्ण शून्य कर देना ।
देखो ,आपका पद आपको याद नही आना चाहिए ,
आपको आपका धर्म याद नही आना चाहिए ,
आपको आपका नाम नही याद आना चाहिए ,
आपको आपका लिंग याद नही आना चाहिए
आपको आपकी वेशभूषा याद नही आना चाहिए ,
एक आत्मस्वरूप बन जाओ न !
आत्मा तो केवल आत्मा होता है । ऐसे उस आत्मस्वरूप को अगर आप प्राप्त करेंगे तो वही एक रास्ता है ,वही एक मार्ग है जिस मार्ग से आप माध्यम के साथ समाहित हो सकते है और समाहित होने के बाद माध्यम के भीतर का ज्ञान धीरे - धीरे धीरे -धीरे आपके अंदर ट्रांसफर होना प्रारंभ हो जाएगा ।


-प.पू.गुरुदेव
 गुरुपुरनीमा २०१३

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