मनुष्य का गुणधर्म है - प्रेम करना

  • पाणि का गुणधर्म है - बहना , आगका गुणधर्म है - जलना । ठीक वैसे ही मनुष्य का गुणधर्म है - प्रेम करना ।
  • प्रेमतत्व बहने लगने के बाद मनुष्य सभी से ही प्रेम करने लग जाता है ।वह सब में ही परमात्मा के दर्शन करने लग जाता है और उसे सर्वत्र शक्ति के दर्शन होने लग जाते है ।
  • फिर इस प्रेम तत्व के कारण ही आध्यात्मिक प्रगती होने लगती है और मनुष्य अपने "मै "के बूँद के अस्तित्व से सागर के अस्तित्व में बदल जाता है ।


 आध्यात्मिक सत्य 

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