आध्यात्मिक साधना में रत व्यक्ति के लिए मांसाहार योग्य नहीं हे।
आध्यात्मिक साधना में रत व्यक्ति के लिए मांसाहार योग्य नहीं हे। क्यूँकि
आध्यात्मिक साधना कर मनुष्य अपने भीतर की सजीव शक्तियों को जागृत करता हे,
अपनी ऊर्जा को जीवित कार्य है, तो उस ऊर्जा को सजीव करते समय वह बाहर से
प्राणीयो को, मछलियों को खाकर उनके शरीर के माध्यम से मारी हुई ऊर्जा कैसे
ग्रहण कर सकता है? इसीलए मांसाहार योग्य नहीं है। मनुष्य हिंसक नहीं है। यह
उसका मूल स्वभाव है। और हिंसा करना मनुष्य के मूल, शुद्ध स्वभाव के
विरुद्ध है।
* HSY 1 pg 317-318
* HSY 1 pg 317-318
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