॥ मधु चैतन्य ॥* *मार्च २०१२*


  • जब भी जीवन के अंदर जिन्होने मेरे ऊपर पत्थर मारे है न , उन पत्थरों को मैने इकट्ठा किया , इकट्ठा करके उसकी सीढ़ी बनाई और यहाँ तक पहुँचा हूँ ।
  • तो आप भी अपने जीवन में जो भी लोग पत्थर मारे ,उन पत्थरों को इकट्ठा करो इकट्ठा करके उसकी सीढ़ी बनाओ और सीढ़ी से ऊपर चढो ।

मधु चैतन्य 
मार्च २०१२

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