मनुष्य की प्रथम अवस्था नव माह माँ के गर्भ में गुजरी होती है और इसीलिए व्रुद्धावस्था में भी माँ ही याद आती है ।
ऐसा लगता है की प्रत्येक का अपनी माँ के साथ नाल का संबंध
होता है । इसलिए मनुष्य का जीवन जैसे -जैसे समाप्ति की और होता
है , वैसे -वैसे उसका प्रथम सिरा उसके करीब होने लगता है । मनुष्य
की प्रथम अवस्था नव माह माँ के गर्भ में गुजरी होती है और
इसीलिए व्रुद्धावस्था में भी माँ ही याद आती है ।
ही..स..योग [ ५ ]
ही..स..योग [ ५ ]
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