जब तक आप स्वयम आपको नही जानते ,तब तक उस अनुभूति को भी नही जान सकते ।
जब तक आप स्वयम आपको नही जानते ,तब तक उस अनुभूति को भी नही जान सकते ।
"' मै कौन हूँ ?"'
"' मै कहाँ से आया हूँ ?"'
"' मुझे कहाँ जाना है ?"'
धीरे -धीरे आपके आत्मा का एहसास आपको होना लग जाएगा ।
चैतन्य महोत्सव
नवंबर - २०१०
- उस ध्यान को आपने शारीरिक स्तर के ऊपर ग्रहण किया है । आवशकता है आत्मिक स्तर के ऊपर ग्रहण करने की ।
- ध्यान करने के थोडी देर पूर्व एकांत में जाकर बैठो , और अपने आपको जानने का प्रयास करो , अपने आपको पहचानने का प्रयास करो । आप अपने आपसे ही प्रश्न पूछो......
"' मै कौन हूँ ?"'
"' मै कहाँ से आया हूँ ?"'
"' मुझे कहाँ जाना है ?"'
धीरे -धीरे आपके आत्मा का एहसास आपको होना लग जाएगा ।
- तो इसी समाज में रहते हुए ,इसी संसार में रहते हुए ,इसी घर में रहते हुए आप अपने आपको इन सभी से मुक्त पाएँगे ।
चैतन्य महोत्सव
नवंबर - २०१०
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