महाध्यान 28/9/2011


  • हम केवल कुछ पाने के लिये ही ध्यान करते है।*
  • और वह पाते है। और अधीक पाने के लीये फीर ध्यान करते है।*
  • और साधक की एक गलत दिशा में दौड प्रारंभ हो जाती है, जिसका कोई अंन्त नही है।*

*परम पुज्य श्री गुरूदेव*
*महाध्यान*
*28/9/2011*

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी