मनुष्य का भूत काल चित्त को कमज़ोर करता है

" मनुष्य का भूत काल चित्त को कमज़ोर करता है और मनुष्य की आसक्ति चित्त को स्थिर नही होने देती है । इसलिए इन दोनों से बचने पर ही चित्त शुद्ध , पवित्र होकर सशक्त बनता है और सशक्त चित्त से प्रार्थना पूर्ण होती है ।"[ ही - स - यो - २ ]

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