आत्मा की जाग्रुती

आत्मा की जाग्रुती भी एक आध्यात्मिक अनुभूति है और वह भी आत्मस्वरूप बनकर ही प्राप्त की जा सकती है । गुरु और शिष्य का संबंध एक आत्मिक संबंध है जो पूर्वजन्म से ही निश्चित होता है । और यह सम्बन्ध आत्मीय स्तर पर होता है क्योकि शरीर को आध्यात्मिक क्षेत्र में महत्व नही दिया है । लेकिन बिना शरीर के मोक्ष संभव ही नही है । ये दोनो बाते होती है । शरीर का स्थान एक सीढ़ी के समान होता है । आत्मा शरीर रूपी सीढ़ी पर चढ़कर परमात्मारूपी अपनी मंजिल तक पहुँचती है ।

ही..स..योग..[ ५ ]

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