आत्मा की अनुभूति
और फिर आपको आत्मा की अनुभूति होना प्रारंभ हो जाता है ।
प्रथम अनुभूति यह होती है की आपको ध्यान करके अच्छा लगता है । दूसरी अनुभूति है - आप अपने - आपको इस संसार से और इस शरीर की समस्याओं से मुक्त पाते है । और इस प्रकार नियमित ध्यान करने से आपका नियंत्रण आपकी आत्मा के हातो में चला जाता है । यानी शरीर आत्मनियंत्रित हो जाता है । एकबार आत्मा प्रकाशित होने पर हमारे क्या दोष है , क्या दाग है वह भी हमे मालूम हो जाता है ।....
📖ही..स..योग
भाग..[ ५ ]
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