बचपन की आध्यात्मिक यादें

मेरे बचपन में एक कार्ड का खिलौना था । उस कार्ड को सीधा देखो तो बच्चे का फोटो दिखता था और उलटा करके देखो तो बूढ़े का फोटो दिखता था । मेरे हिसाब से वह कार्ड मनुष्य जीवन का ही प्रतीक है । सीधा देखो तो सुख है उलटा देखो तो दुःख है । लेकिन एक समय एक ही दिखता है । अब क्या देखना है वह हमारे ऊपर ही निर्भर है ।हमारा जीवन जीवन भी बिल्कुल ऐसा ही है । हमारे भी जीवन रूपी कार्ड पर सुख और दुःख दोनो है । आप अपने जीवन में क्या अनुभव करते हो यह आप पर ही निर्भर है ।समय के साथ अपने र्हदय को भी बड़ा करो।

ही.स.योग..[ ५ ]

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