परमात्मा
- हे करूणानिधान, मैंने न तो परमात्मा को देखा है और न ही कभी अनुभव किया।
- परमात्मा की शक्ति सारे विश्व में फैली हुई है, पर विश्व की शक्ति की अनुभूति मुझे आपके माध्यम से हुई है।
- आप उस परमात्मा की शक्ति के माध्यम हैं। मैं जानता हूँ कि आप एक सामान्य मनुष्य हैं,
- पर परमात्मा की असामान्य शक्तियों ने आपको माध्यम बनाकर असामान्य बना दिया हैं।
- परमात्मा की शक्तियों की द्रष्टि से आप भले ही एक माध्यम हो, पर मेरी द्रष्टि से आप ही परमात्मा हैं।
- आपसे मिलकर मेरी परमात्मा की खोज समाप्त हो गई। और कोई खोज समाप्त तब होती है, जब कोई परमात्मा मिल जाता है। मुझे मेरा परमात्मा मिल गया।
- अब मुझे परमात्मा से मिलने की कोई इच्छा नहीं रही क्योंकि मैंने मेरे जीवनकाल में परमात्मा को पा लिया है।
हिमालय का समपॅण योग
*पवित्र ग्रंथ* *1-273/274
*पवित्र ग्रंथ* *1-273/274
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