मधु चैतन्य - जून -२०११
भक्ति , तपश्या ,ज्ञान  ये  स्थूल  चीज़े  नही  है । ये  चैतन्य  की  
अवस्थाए  है । ये  संपत्ति  की  तरह  अपने  बच्चों  में  बाटी  नही  जा  
सकती  है ।.............ये  केवल  शक्तिपात  से  ही  सुपात्र  शिष्य  को  
दी  जा  सकती  है , जो  उन्हे  पूर्ण  रूप  से  ग्रहण  कर  सके ।
ईश्वरीय प्रेम यह एक महान तपस्या होती है । संत सूरदास की तरह प्रेम शून्य अवस्था तक पहुँचना चाहिए । इस अवस्था में शरीर का एहसास नही रहता है ।
मधु चैतन्य
जून -२०११
ईश्वरीय प्रेम यह एक महान तपस्या होती है । संत सूरदास की तरह प्रेम शून्य अवस्था तक पहुँचना चाहिए । इस अवस्था में शरीर का एहसास नही रहता है ।
मधु चैतन्य
जून -२०११
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