अनन्य भक्ति

आत्मा का आनंद इकठ्ठा करने में नही है , जोड़ने में नही है , जमा करने में नही है । आत्मा को आनंद सदैव बाँटने में ही मिलता है....इसीलिए विभिन्न धर्मों में दान को महत्व दिया गया है ताकि धन जमाकर आप जीवन में शरीर -सुख तो प्राप्त करेंगे ही , लेकिन उसके साथ साथ आत्मसुख भी प्राप्त करे....वह दान ही आपके आत्मा को सुखी और प्रसन्न कर सकता है...
आत्मसुख से ही आध्यात्मिक प्रगती संभव है । क्योकि आत्मा सुखी होगी तो सशक्त होगी , और सशक्त होगी तो ही आध्यात्मिक साधना करेगी , और आध्यात्मिक साधना करेगी तो आध्यात्मिक प्रगती होगी ।

म.चैतन्य
अक्टूबर २०१६
संदर्भ..ही.स.यो.१

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