chandrakant malani: 🎍आध्यात्मिक सत्य 🎍 एक मनुष्य का अहंकार एक मनुष्य उतना ही होगा , समान होगा तो एक मनुष्य अपने अहंकार को दूर कर ही नही सकता है । बाबा स्वामी 🌞" मै " बड़ा सूक्ष्म भाव है । स्वयं को तो यह कभी पता ही नही चलता है । " मैं " का अहंकार रूपी राक्षस सभी मे होता है । 🌙 बाबा स्वामी [आध्यात्मिक सत्य ]
Posts
Showing posts from March, 2018
- Get link
- Other Apps
🌹21. जय बाबास्वामी.🌹 " सद्गगुरु एक माध्यम"...३. २१. शरीर हमें विचलित कर सकता है, और करेगा ही। शरीर विचलित करने के लिए ही बना है। २२. यह करने का अभ्यास करना होगा। यह केवल चैतन्य पर चित्त रखने के अभ्यास से ही संभव है। २३. नाशवान शरीर के भीतर शाश्वत चैतन्यरूपी परमात्मा छुपा है। शरीर तो छिलकामात्र है। उसे अलग करके ही देखना होगा। २४. सदगुरु का शरीर साधक भी है और बाधक भी है। शरीर का उपयोग चैतन्य की तरफ चित्त ले जाने के लिए किया तो साधक है और नहीं किया तो बाधक है। २५. इसी शरीर की बाधकता के कारण ही सदगुरु को उनके जीवनकाल में बहुत विरले ही व्यक्ति जान पाते हैं। २६. शरीर का आवरण समाप्त होने के बाद उस सदगुरु को पहचाना जाता है। पर तब बहुत देर हो चुकी होती है। २७. स्थूल शरीर आया तो स्थूल शरीर के दोष आएँगे ही। हमें यह देखना नहीं है, अनुभव करना है कि कौनसा वह चैतन्य है जो लाखों लोग ग्रहण करते हैं। २८. किस चैतन्य से यह सामान्य शरीर लाखों लोगों से जूडा है और लाखों लोग इस शरीर से जुडे हैं। २९. यह ग्यान जिसे प्राप्त हो गया, उसे यह शरीर साधक सिद्ध होगा, आन्यथा नहीं। ३
- Get link
- Other Apps
=========================== 🎍शिर्डी 🎍मोक्ष का महाद्वार 🎍 🔱परम पूज्य गुरुदेव 🔱 जीवंत समाधीस्त गुरु को र्हदय से प्रार्थना करना और प्रर्थना भी लाखों की सामूहिकता में रहकर करना । और ऐसा स्वर्णिम अवसर "श्री साईबाबा समर्पण ध्यान महाशीवीर " के रूप में आपको मिल रहा है । क्योँकि अब तक श्री साईबाबा के समाधि के पास "भौतिक बाते "बहोत माँग ली । इस बार आत्माक्षातकार की इच्छा कीजिए ताकि बाद में जीवन में माँगने के लिए कुच्छ बाकी न रह जाए । इसलिए "शिर्डी मोक्ष का द्वार "है , लेकिन आपको ही "प्रार्थना" करके वह द्वार खोलना होगा और अनुभूति के जगत में प्रवेश करना होगा । 🔰 मधुचैतन्य 🔰 अ .म .जून .२०१३ ==========================
- Get link
- Other Apps
🙏🏻 *॥जय बाबा स्वामी॥* 🙏🏻 परमात्मा से संबंध स्थापित करने के लिए इन सब कर्मकांडों की आवश्यकता नहीं है। पूजा-पाठ , मूर्ति , मंदिर , माला ये सब उस परमेश्वर को पाने में सहायता कर सकते है , पर ये आवश्यक भी नहीं है। आवश्यक है तुम्हारा भाव । और उस भाव को जागृत करने के लिए ही ये सब होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण है भाव। *हिमालय का समर्पण योग २/२१७* 🙏🏻 *॥आत्म देवो भव:॥* 🙏🏻
शिर्डी मोक्ष का द्वार है
- Get link
- Other Apps
=========================== 🎍शिर्डी 🎍मोक्ष का महाद्वार 🎍 🔱परम पूज्य गुरुदेव 🔱 जीवंत समाधीस्त गुरु को र्हदय से प्रार्थना करना और प्रर्थना भी लाखों की सामूहिकता में रहकर करना । और ऐसा स्वर्णिम अवसर "श्री साईबाबा समर्पण ध्यान महाशीवीर " के रूप में आपको मिल रहा है । क्योँकि अब तक श्री साईबाबा के समाधि के पास "भौतिक बाते "बहोत माँग ली । इस बार आत्माक्षातकार की इच्छा कीजिए ताकि बाद में जीवन में माँगने के लिए कुच्छ बाकी न रह जाए । इसलिए "शिर्डी मोक्ष का द्वार "है , लेकिन आपको ही "प्रार्थना" करके वह द्वार खोलना होगा और अनुभूति के जगत में प्रवेश करना होगा । 🔰 मधुचैतन्य 🔰 अ .म .जून .२०१३ ==========================
- Get link
- Other Apps
🌹21. जय बाबास्वामी.🌹 " सद्गगुरु एक माध्यम"...३. २१. शरीर हमें विचलित कर सकता है, और करेगा ही। शरीर विचलित करने के लिए ही बना है। २२. यह करने का अभ्यास करना होगा। यह केवल चैतन्य पर चित्त रखने के अभ्यास से ही संभव है। २३. नाशवान शरीर के भीतर शाश्वत चैतन्यरूपी परमात्मा छुपा है। शरीर तो छिलकामात्र है। उसे अलग करके ही देखना होगा। २४. सदगुरु का शरीर साधक भी है और बाधक भी है। शरीर का उपयोग चैतन्य की तरफ चित्त ले जाने के लिए किया तो साधक है और नहीं किया तो बाधक है। २५. इसी शरीर की बाधकता के कारण ही सदगुरु को उनके जीवनकाल में बहुत विरले ही व्यक्ति जान पाते हैं। २६. शरीर का आवरण समाप्त होने के बाद उस सदगुरु को पहचाना जाता है। पर तब बहुत देर हो चुकी होती है। २७. स्थूल शरीर आया तो स्थूल शरीर के दोष आएँगे ही। हमें यह देखना नहीं है, अनुभव करना है कि कौनसा वह चैतन्य है जो लाखों लोग ग्रहण करते हैं। २८. किस चैतन्य से यह सामान्य शरीर लाखों लोगों से जूडा है और लाखों लोग इस शरीर से जुडे हैं। २९. यह ग्यान जिसे प्राप्त हो गया, उसे यह शरीर साधक सिद्ध होगा, आन्यथा नहीं। ३
- Get link
- Other Apps
=========================== 🎍शिर्डी 🎍मोक्ष का महाद्वार 🎍 🔱परम पूज्य गुरुदेव 🔱 जीवंत समाधीस्त गुरु को र्हदय से प्रार्थना करना और प्रर्थना भी लाखों की सामूहिकता में रहकर करना । और ऐसा स्वर्णिम अवसर "श्री साईबाबा समर्पण ध्यान महाशीवीर " के रूप में आपको मिल रहा है । क्योँकि अब तक श्री साईबाबा के समाधि के पास "भौतिक बाते "बहोत माँग ली । इस बार आत्माक्षातकार की इच्छा कीजिए ताकि बाद में जीवन में माँगने के लिए कुच्छ बाकी न रह जाए । इसलिए "शिर्डी मोक्ष का द्वार "है , लेकिन आपको ही "प्रार्थना" करके वह द्वार खोलना होगा और अनुभूति के जगत में प्रवेश करना होगा । 🔰 मधुचैतन्य 🔰 अ .म .जून .२०१३ ========================== प्रत्येक धमॅ में दान को बहुत ज्यादा महत्व दिया गया है। क्यों ? कोई भिखारी आया, उसके सामने एक रूपया फेंक दिया यह दान नहीं है। दान का उद्देश्य, आपके भीतर आपसे नीचे जो हैं उनके लिए करूणा जागृत होने की आवश्यकता है। क्योंकि अगर आपके मन में आपके नीचे
- Get link
- Other Apps
[19/03 10:16 pm] +91 85540 48979: _* इस आध्यात्मिक जगत में मनुष्य के प्रयत्नो का कोई स्थान नहीं है और प्रयत्न ही इस आध्यात्मिक क्षेत्र में बाधक बन जाते है। क्यूँकि जैसे ही हम कोई प्रयत्न करते है, हमारा अस्तित्व ही अलग सा हो जाता है और आध्यात्मिक क्षेत्र में सारी प्रगति समूहिकता में ही होती है। और उस सामूहिक शक्ति के माध्यम होते है - गुरू। और जब हम अपने स्वयं के प्रयत्न करना छोड़ देते है और उनसे प्रार्थना करते है, तो प्रार्थना करने के माध्यम से हम उनसे जुड़ते है। *_ _* जय बाबा स्वामी*_ 🌻🙏🏻🌻 _*HSY 2 pg 281*_ [19/03 10:16 pm] +91 85540 48979: _*यह शरीर एक धर्मशाला जैसा है जिसमें आत्मा कुछ समय व्यतीत करने के लिए आती है और बाद में अपने घर चली जाती है। और जो आत्मा पूर्णत्व को पाकर अपने घर जाती है, वह प्रसन्न रहती है क्यूँकि उसे मृत्यु का भय नहि लगता है। मृत्यु से वह ख़ुश होती है क्यूँकि उस आत्मा को उसके घर जाने को मिल रहा है। *_ _* जय बाबा स्वामी*_ 🌸🙏🏻🌸 _* HSY1 pg 447*_
- Get link
- Other Apps
|| जय बाबा स्वामी || सभी साधक भाई-बहनों को मेरा नमस्कार, अभी हाल ही में हुए मकर संक्रांति कार्यक्रम के दौरान आप सभी को प्रार्थना धाम के नए ऑनलाइन सिस्टम के बारे में जानकारी दी थी । आज अर्थात 17 जनवरी 2018 से हमारे प्रार्थना धाम का ऑनलाइन सिस्टम शुरु हो चुका है । ऑनलाइन प्राथना बहुत ही सरल है, आपको मात्रा हमारी वेबसाइट www.samarpanmeditation.org पर जाकर "24/7 prayer centre" पर क्लिक करना है । लिख करते ही एक फॉर्म खुलेगा, जिसमें प्रार्थना करने वाले एवं जिसके लिए प्रार्थना की जा रही है उसके संबंधित जानकारी के साथ आपकी प्रार्थना ली जाएगी । आपके फॉर्म भरने के 24 घंटो के अंदर-अंदर या प्रार्थना, प्रार्थना धाम में की जाएगी । प्रार्थना हमें प्राप्त होते हैं, आपको ईमेल द्वारा इस बारे में सूचित किया जाएगा । प्रार्थना पूर्ण होते ही आप को ईमेल द्वारा प्रार्थना पूर्ण होने की भी सूचना दी जाएगी । आने वाला समय डिजिटल युग है, इस युग में हमारा देश भी इस ओर कदम रखा चुका है । मुझे पूर्ण विश्वास है जिस प्रकार नामकरण के पोर्टल का आप सभी साधक भाई बहन अच्छे से उपयोग कर रहे हैं उसी प्रकार इस प्र
- Get link
- Other Apps
=========================== 🎍शिर्डी 🎍मोक्ष का महाद्वार 🎍 🔱परम पूज्य गुरुदेव 🔱 जीवंत समाधीस्त गुरु को र्हदय से प्रार्थना करना और प्रर्थना भी लाखों की सामूहिकता में रहकर करना । और ऐसा स्वर्णिम अवसर "श्री साईबाबा समर्पण ध्यान महाशीवीर " के रूप में आपको मिल रहा है । क्योँकि अब तक श्री साईबाबा के समाधि के पास "भौतिक बाते "बहोत माँग ली । इस बार आत्माक्षातकार की इच्छा कीजिए ताकि बाद में जीवन में माँगने के लिए कुच्छ बाकी न रह जाए । इसलिए "शिर्डी मोक्ष का द्वार "है , लेकिन आपको ही "प्रार्थना" करके वह द्वार खोलना होगा और अनुभूति के जगत में प्रवेश करना होगा । 🔰 मधुचैतन्य 🔰 अ .म .जून .२०१३ ==========================
- Get link
- Other Apps
🙏🏻 *॥जय बाबा स्वामी॥* 🙏🏻 उस दिन लगा कि अंदर के 'मैं' को लगता है कि मैं वह उच्च स्थिति फिर से प्राप्त कर लूँगा , पर यह मेरा अहंकार है। वास्तव में , गुरूकृपा जब होती है तो केवल गुरू की करुणा में ही होती है और करूणा तो परमेश्वर की कृपा है , वह कोई अपनी इच्छा से थोडे ही आमंत्रित कर सकता है, वह बुला थोडे ही सकता है? केवल एक उपयुक्त स्थिति होने पर वह करुणा हो जाती है। उस दिन वह स्थिति रही होगी , इसलिए वह करूणा हो गई थी। *हिमालय का समर्पण योग २/१८६* 🙏🏻 *॥आत्म देवो भव:॥* 🙏🏻
- Get link
- Other Apps
प्रत्येक सुबह मनुष्य का चित्त भी एक छोटे बच्चे की तरह होता है। आप सुबह-सुबह चित को जो भी आकार दो वैसा ही वह दिनभर बना रहता है। *सुबह उठने के बाद के हमारे दो धण्टे बड़े महत्त्वपूर्ण होते हैं।* *अगर हमें सुबह के समय दो धण्टे अपने चित्त को भीतर रखना आ गया तो फिर स्थिर रहना (चित का) और शुद्ध रहना स्वयं ही हो जाएगा।* ------- बाबा स्वामी 👏👏👏👏
- Get link
- Other Apps
प्रत्येक सुबह मनुष्य का चित्त भी एक छोटे बच्चे की तरह होता है। आप सुबह-सुबह चित को जो भी आकार दो वैसा ही वह दिनभर बना रहता है। *सुबह उठने के बाद के हमारे दो धण्टे बड़े महत्त्वपूर्ण होते हैं।* *अगर हमें सुबह के समय दो धण्टे अपने चित्त को भीतर रखना आ गया तो फिर स्थिर रहना (चित का) और शुद्ध रहना स्वयं ही हो जाएगा।* ------- बाबा स्वामी 👏👏👏👏
- Get link
- Other Apps
क्योंकि सारा इलाका उग्रवादी लोगों का था। इसीलिए ही जो मिलट्री के अधिकारी भी आते थे , वे भी सैनिकों के साथ रोज शिबिर में आते थे। शिबिर गाँव की एक महिला ने भाग लिया था। ध्यान करके उसे भी अच्छा लगा। उसने लक्ष्मीबहन द्धारा मिलने का समय माँग तो मैंने दिया। तो वह महिला बोलीं, कुछ महिलाओं के साथ आप हमको समय दे सकते हैं क्या ? मैंने हाँ कहा। तो वह आसपास की कुछ महिलाओं को लेकर आई। वह उग्रवाद से पोडित माताओं के संगठन चलती थी। भाग - ६ -१५२ १५३
- Get link
- Other Apps
[18/03 6:04 pm] +91 72196 19771: 🙏🏻 *॥जय बाबा स्वामी॥* 🙏🏻 ईश्वर प्राप्ति के अनेक मार्ग हैं। उनमें ही एक मार्ग 'समर्पण ध्यानयोग' है। और इस मार्ग के उपर जो लोग चलते हैं , उन्हें इस मार्ग पर चलनेवाली शक्तीयाँ सामूहिक शक्तियाँ प्रदान करती हैं और इस मार्ग पर चलनेवालों का जीवन सुख और शांति से व्यतीत होता है। इस मार्ग के कुछ सिद्धांत हैं और इन्हीं सिद्धांतों पर यह पद्धति आधारित है। पहला सिद्धान्त - परमात्मा सर्वत्र व्याप्त विश्वव्यापी शक्ति है, दुसरा - सद्गुरु इस विश्वव्यापी शक्ति का माध्यम है, तिसरा - विश्व में एक ही धर्म है - मानव धर्म और चौथा - अहिंसा ही सत्य धर्म है और पाँचवा - परमात्मा के प्रति अपना संपूर्ण समर्पण ही मोक्ष है। इन्हीं सिद्धांतों पर यह पद्धति आधारित है। *हिमालय का समर्पण योग २/१८०* 🙏🏻 *॥आत्म देवो भव:॥* 🙏🏻 [18/03 8:01 pm] +91 72196 19771: *हे स्वामी ,* *गीता कुरान गुरूग्रंथ तुम्ही* *येशू की क्षमाभावना तुम्ही...* 🙇♀ 🙇 ध्यान करते नहीं आता। ध्यान करने का प्रयास करते हैं , ध्यान करने का प्रयत्न करते हैं लेकिन ध्यान नहीं लगता। साधारणतः ये समस्य
प्रार्थना
- Get link
- Other Apps
जब भी कुछ भी , कोई भी बात , कोई भी व्यक्ति के कारण आपको लगे की आप असंतुलित हो रहे है तो कुछ भी नही करना है , आपको उसमें से चित्त निकालने के लिए केवल एक प्रार्थना करनी है । एक बहुत अच्छी -सी सकारात्मक प्रार्थना - "हे गुरुदेव , इस व्यक्ति को सदबुद्धि दो , उसको अच्छा व्यवहार दो , व्यवहार अच्छा करना सिखाओ और मेरा चित्त जो उसमेँ गया है , मेरे चित्त में जो विचार बार -बार उसीके आ रहे है , वे विचार आप ही दूर कर सकते है । आप दूर कर दीजिए । " बस इतनी प्रार्थना करो । वंदनीय पूज्या गुरुमाँ गुरुपुर्नीमा - २०१३
- Get link
- Other Apps
" जिस प्रकार से एक बिमारी के लिए एक समय में दो डॉक्टरों की ट्रीटमेंट नहीं ली जा सकती है क्योंकि ऐसे लेंगे, तो वे न तो उन गुरुओं के प्रति इमानदार है और न ही मेरे प्रति वफादार । किसी एक जगह रहो । मैंने जो भी आध्यात्मिक प्रगति की है, सदैव एक ही गुरु पर केंद्रित करके रहा हुँ । सारी विश्वचेतना विश्व में फैली हुई है । उस विश्वचेतना ने हमको अनुभूति कराने के लिए किस कण का सहारा लिया, किस माध्यम को चुना, वह संकेत हमको समझना आवश्यक है । मैं जीवन में एक समय सिर्फ एक ही गुरु के पास समर्पित रहता था । मेरे जीवन में अनेक गुरु आए है । जिस प्रकार से प्राइमरी से मिडल स्कूल, मिडल स्कूल से हाई स्कूल, हाई स्कूल से कॉलेज, शिक्षा के स्तर पर प्रगति होती है, ठीक उसी प्रकार से यह आध्यात्मिक मार्ग में भी है ।" *************** "गुरु नदी का वह निरंतर प्रवाह है जो आपको आगे ही ले जाएगा । उसके लिए खुद को पूर्णतः छोड़ देने की आवश्यकता है । अभी मैं महसूस करता हुँ कि मेरी प्रगति इसलिए हुई कि पूरी विश्वचेतना को मैंने मेरे गुरु में पाया । मेरे गुरु के अंदर मैंने मेरे सब परमात्मा के दर्शन कर लिए, सब गुरुओ