नकारात्मक विचारों को रोकने के लिए
कुछ लोगों ने नकारात्मक विचारों से मुक्ति पाने के लिए सकारात्मक विचारों का प्रयोग किया है , पर यह प्रयोग भी बेकार हीं साबित हुआ है क्योंकि मनुष्य सकारात्मक विचार करे या नकारात्मक विचार करे , दोनों ही स्थितियों में प्रदूषण ही फैलाता है।
नकारात्मक विचारों को रोकने के लिए सकारात्मक विचार करने का प्रयास भी अस्थाई प्रयास है और इस अस्थाई प्रयास में भी मनुष्य की ऊर्जा तो खर्च होती ही है , क्योंकि जो सकारात्मक विचार कर सकता है , वही मनुष्य नकारात्मक विचार भी कर सकता है। दोनों ही विचार मनुष्य की शक्ति को खर्च करते हैं। इन दोनों से मुक्ति निर्विचारिता की स्थिति है। और यह स्थिति भी स्वयं , प्राकृतिक रूप से मिलनी ध्यान में ही संभव है।
*हिमालय का समर्पण योग२/२३*
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