🌿🌷जय बाबा स्वामी🌷🌿
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आश्रम अपनी सब्जियाँ खुद ही उगाता था, आश्रम अपना अनाज भी खुद ही उगाता था। आश्रम का अपना एक बड़ा फलबाग था। खूब अच्छे किस्म के केले वहाँ हमें मिल रहे थे। यहाँ पर अनुराग को एकदम मुक्त वातावरण मिल रहा था। यहाँ पर केवल महिलाएँ ही थीं। वह कभी किसी के साथ तो कभी किसी के साथ धूमता था। वह आश्रम उसे बहुत ही अच्छा लगा था। दूसरा , वहाँ कोई बच्चा ही नहीं था इसीलिए भी सभी इसको ही लाड़-प्यार कर रहे थे। वह आश्रम एक आदर्श आश्रम था। आश्रम की व्यवस्था और अनुशासन एकदम अच्छा था। सारी व्यवस्था श्रीमति लक्ष्मीबहन स्वयं ही देखती थीं। उनके प्रति सबका आदरयुक्त भाव था। वे दिखने में विदेशी महिला जैसी ही दिखती थीं , इतनी सुंदर , गोरी थीं। उनकी विदेशी अंग्रेजों जैसी हरी-हरी आँखे थीं। कुल मिलाकर उनका व्यक्तित्त्व मोहक और प्रभावशाली था। वे भी व्यवस्थापन में , कोई बाहर से आने वाले हों तो उनसे मिलने में व्यस्त रहती थीं। जब उनके पास समय होता तो वे बातें करने को बुलाती थीं। वह बोलती थी, आपसे मिलकर मुझे नए विषय पर जानकारी मिलती है। इसलिए मुझे आपसे मिलना अच्छा लगता है। यह आश्रम भी एक छोटे-से गाँव मे जंगल में ही था। यहाँ पर बाहर से कोई अपरिचित आने की हिम्मत नहीं कर सकता था।
भाग - ६ -१५२
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