चित्तशक्ति का युग
प्राचीन समय में 'शक्ति का युग' था। जिसमें अधिक शक्ति थी वह शक्तिशाली कहलाता था। फिर शक्ति का युग चला गया। बाद में 'बुद्धि का युग' आया। बुद्धिमान व्यक्ति अति बलशाली हो गया। कितना ही शक्तिशाली व्यक्ति हो , आज बुद्धिशाली व्यक्ति आधुनिक उपकरणों से उसे हरा सकता है। अब यह युग भी समाप्त हो रहा है। अब आने वाला युग 'चित्तशक्ति' का होगा। जिस व्यक्ति का चित्त सशक्त है , वह व्यक्ति बलशाली कहलाएगा ।
जिस व्यक्ति का चित्त सशक्त है , वही व्यक्ति का आभामंडल सुरक्षित होगा और जिस व्यक्ति का आभामंडल सुरक्षित और सशक्त होगा , वही व्यक्ति आने वाले समय में बाहरी वैचारिक प्रदूषण के जमाने में सुरक्षित और श्रेष्ठ होगा। जिस राष्ट्र में सशक्त चित्त वाले व्यक्ति अधिक होंगे , वही राष्ट्र भविष्य में प्रगति कर सकेगा। सशक्त चित्त के लिए विचारों की और चित्त की स्वच्छता भी अत्यंत आवश्यक प्रतीत होती है। अगली पीढ़ी यह अनुभव करेगी ही।
सशक्त चित्त के लिए स्वार्थी होना आवश्यक है। स्वार्थी से मेरा आशय 'स्व का अर्थ' जानने से है। यानी अपने-आप को जानो। आज हम अपने-आपको छोड़कर सब कुछ जानते है।
*आत्मेश्वर (आत्मा ही ईश्वर है) ४२*
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