"समर्पण घ्यान "

माँ  जब  गरभावस्था  में  रहती  है  न  तो  बच्चे  के  ऊपर  धीरे  धीरे  संस्कार  संक्रमित  करते  रहती  है । जो  उसके  अच्छे  विचार  है , अच्छी  बाते  है  बराबर  बच्चे  में  संक्रमीत  होगी  उसी  प्रकार  से  गुरु  भी  शिष्य  के  ऊपर  धीरे  धीरे  संस्कार  सँक्रमित  करता  है ।
सब  धर्मों  का  सार  क्या  है ? .....
अच्छी  चीज़े  करो  और  बुरी  चीज़े  छोडो । एक  ही  बात  सारे  धर्म  में  रिपिट  की  है ।
ये  करते  करते  आपकी  आत्मा  तक  पहुँचने  की  प्रक्रिया  है । एक  बार  आत्मा  तक  पहुँचने  के  बाद  अच्छा  और  बुरा  का  ज्ञान  आपको  हो  जाएगा । इसिको  धर्म  केहते  है । धर्म  एक  ही  है , मनुष्य धर्म ! धर्म  याने  ज्ञान , सब  धर्मों  का  यही  सार  है ।
"समर्पण " धान  में  एकदम  उलटी  प्रक्रिया  है , कोई  उपदेश  नही  देता ।
सब  करो , सबके  साथ  में  रहो , उसके  बाद  में  परमात्मा  को  अपने  जीवन  में  जोड़  लो । जैसे  ही  परमात्मा  आपके  जीवन  में  जुड़  जाएगा एटोमेटिकलि  बुरी  बाते  खुद ब खुद  छूट  जाएगी । छोड़ना  नही  पड़ेगी , छूट  जाएगी । और  आपको  आत्मसाक्षातकार  के ज़रिए  दोष  धीरे  धीरे  दूर  हो जाएंगे ।

: परमपूज्य स्वामीजी
🕉॥ शिर्डी समर्पण महाशीवीर ॥ 🕉
      २०१३
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