लक्ष्मीबहन ने पूछा, आपके तो बहुत से गुरु हैं तो आप किसके चरण पर चित्त रखते हैं ?
फिर लक्ष्मीबहन ने पूछा, आपके तो बहुत से गुरु हैं तो आप किसके चरण पर चित्त रखते हैं ?
मैंने कहा , मेरे लिए श्री शिवबाबा ही गुरु हैं। मैं उनके ही चरणों पर चित्त रखता हूँ। बाकी सभी गुरु तो मुझे उन चरणों पर चित्त रखने से ही मिले हैं। लक्ष्मीबहन , चरण भी कल्पना ही है। वास्तव में , आप जिसे परमात्मा मानते हो , वह स्थान तो सहस्त्रार चक्र ही है। और किसी से भी सर्वस्व ग्रहण करना हो तो अपनी ग्रहण करने की क्षमता बढ़ाने के लिए हमें उस माध्यम के चरण पर ही चित्त रखना होता है।
भाग - ६- १४६
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