प्रत्येक शब्द का अपना एक आभामंडल

प्रत्येक शब्द का अपना एक आभामंडल होता है और उस आभामंडल का निर्माण जब समूह में होता है तो वह वातावरण में एक शक्तिशाली ऊर्जा का निर्माण करता है | और उस ऊर्जाशक्ति को आप अपनी इच्छाशक्ति से प्रवाहित कर देते हैं | उस ऊर्जा को गलत दिशा में प्रवाहित न करें ,इसके लिए प्रथम चित्त शुद्ध होना आवश्यक है | चित्तशुद्ध होगा तो आपके मन में कोई वैर कोई लालच नहीं होगा | फिर उस ऊर्जाशक्ति का प्रयोग आप दूसरे का बुरा करने के लिए करोगे नहीं ,खुद के लिए कुछ मांगोगे नहीं ,तो फिर उसका उपयोग जनकल्याण के लिए करना ही बाकि रह जाता है | तब वह करोगे | 

हि.स.यो.२/६३ 

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