देर से शादी का पुरुष को इतना फर्क नहीं पड़ता पर स्त्री को पड़ता

देर से शादी का पुरुष को इतना फर्क नहीं पड़ता पर स्त्री को पड़ता है। एक तो २५ के बाद स्त्री बीज का स्तर गिरने लगता है। शरीर की क्षमता  भी कम होने लगती है। दुसरा , अधिक उम्र होने पर अपने मत , अपने विचार , अपनी आदतें पक्की होने लग जाती हैं और दूसरी ओर दूसरे साथी को 'स्वीकार' करने की क्षमता भी कम होने लग जाती है। तिसरा , 'आध्यात्मिक स्तर' पर कहें तो अतृप्ती का भाव बना ही रहता है और स्वतंत्र रहने की आदत से दूसरे साथी को साथ में लेके चलना कठीण(कठिन) हो जाता है। डिलीवरी में भी जैसे-जैसे उम्र बढ़ते जाएगी , तकलीफें बढ़ने की संभावना भी बढ़ती जाएगी और अच्छा (स्वस्थ्य) बच्चा होने की संभावना भी कम होते जाएगी।

*आत्मेश्वर(आत्मा ही ईश्वर है) ५३*

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